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छत्तीसगढ़ में किसानों को मिला राजीव गांधी न्याय योजना का लाभ ‌

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छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ हो रहा है न्याय..

बिलासपुर – केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा डाली गई तमाम अड़चनों बाधाओं और खड़ी की गई समस्याओं
का बखूबी सामना करते हुए छत्तीसगढ़
कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने किसानों को राजीव
गांधी न्याय योजना की राशि सफलतापूर्वक दे दी है
राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त के भुगतान के साथ स्पष्ट हो गया कि
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार और कांग्रेस पार्टी जो कहती है वह करती है। एक तरफ जब देश
भर के किसान समर्थन मूल्य के लिये महिनों से आंदोलित है. सड़कों पर है उस समय छत्तीसगढ़ की
कांग्रेस सरकार ने अपने राज्य के 21.5 लाख किसानों से लगभग 91.5 लाख मीट्रिक टन धान घोषित

समर्थन मूल्य में खरीद कर एक रिकार्ड बनाया है। धान खरीदी के बाद राज्य के किसानों को
प्रोत्साहित करने के लिये कांग्रेस सरकार ने किसानों को न्याय योजना के माध्यम से 10 हजार रू
प्रति एकड़ की सहायता दे रही है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना में धानए गन्नाए मक्का
उत्पादक किसानों को पहले वर्ष की चौथी किश्त के 1104.27 करोड़ रू मिलेंगे। राजीव गांधी किसान
न्याय योजना के दूसरे चरण में धानए गन्नाए मक्का के अलावा दलहन, तिलहन, गौण अन्न रागी,
कोदो, कुटकी उत्पादक किसानों को भी शामिल किया जायेगा। इस योजना में भूमिहीन और सीमांत
किसानों को शामिल कर मुख्यमंत्री ने राज्य की एक बड़ी आबादी की आर्थिक उन्नति के द्वारा खोल
दिये है।
केंद्र की मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया लेकिन आज तक
किसान हित में कोई ठोस पहल नहीं की
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार के 15 साल में किसानों से जो वादाखिलाफी और धोखाधड़ी हुई उसे
हम सब बखूबी जानते हैं
छत्तीसगढ़ में मांग करने और केंद्र से रोक लगाने की भाजपा की दोहरी भूमिका अब किसान समझ
चुके हैं।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल राजीव गांधी किसान न्याय योजना पर रोक लगाने की बात करते हैं तो
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह भाजपा विधायक दल के नेता धरमलाल कौशिक भाजपा के
प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय क्यों हैं खामोश
केंद्र की भाजपा की सरकार का किसान विरोधी चरित्र हो चुका है बेनकाब छत्तीसगढ़ भाजपा किसानों के साथ होने का दिखावा करना बंद करें छत्तीसगढ़ में मांग करने और केंद्र से रोक लगाने की भाजपा की दोहरी भूमिका अब किसान समझ चुके हैं।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल राजीव गांधी किसान न्याय योजना पर रोक लगाने की बात करते हैं तो
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह भाजपा विधायक दल के नेता धरमलाल कौशिक भाजपा के
प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय क्यों हैं खामोश
केंद्र की भाजपा की सरकार का किसान विरोधी चरित्र हो चुका है बेनकाब छत्तीसगढ़ भाजपा होने का
दिखावा करना बंद करें राजीव गांधी किसान न्याय योजना किसानों की समृद्धि का आधार भाजपा और केन्द्र की मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों के धान के इतने ज्यादा विरोध में उतर आये हैं कि राज्य के किसानों का धान से बना चांवल न तो खुद ले रहे है और न ही उससे एथेनॉल बनाने की अनुमति देना चाहते है भाजपा की केंद्र सरकार के साथ साथ रमनसिंह सहित तमाम भाजपा नेता किसानों के विरोध में है राजीव गांधी किसान न्याय योजना राज्य के आर्थिक विकास का मजबूत आधार बन चुकी है।

राजीव गांधी न्याय योजना..

• योजना में खरीफ मौसम में धान के साथ-साथ 13 अन्य फसलों मक्का, सोयाबीन, मुंगफली, तिल,
अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कुटकी, रागी, तथा रबी में गन्ना फसल को शामिल
किया गया है।
• चौथी किस्त 1104.27 करोड़।
• अब तक योजना से धान उत्पादक 18.49 लाख।
• किसानों को 4500 करोड़ का भुगतान किया गया।
• बीज उत्पादक 4777 किसानों की तीन किश्त में 23 करोड़ 62 लाख।
गन्ना उत्पादक 34 हजार 292 किसानों को 74 करोड़ 24 लाख किया जा चुका है।
• चौथी किस्त धान उत्पादक, गन्ना उत्पादक, बीज उत्पादक को मिलाकर 5704 करोड़ 13 लाख का
भुगतान किया जा रहा है।
अब तक किसानों के खाते में 4597 करोड़ 88 लाख रूपए का भुगतान।
21 मई को राजीव गांधी की पुण्यतिथी पर राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू हुई।
9 लाख 54 हजार सीमांत किसान।
• लाख 60 हजार लघु किसान।
• 3 लाख 21 हजार दीर्घ किसान।
कुल 18 लाख 35 हजार किसान।
प्रथम किस्त 21 मई 2020 को 1500 करोड़।
द्वितीय किस्त 20 अगस्त 2020 को 1500 करोड़।
तृतीय किस्त 1 नवंबर 2020 को 1500 करोड़।
• चौथा किस्त 21 मार्च 2021 को 1104.27 करोड़
• गन्ना उत्पादक किसानों को प्रति क्विंटल 355 रु अतिरिक्त।

भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार की वक्रदृष्टि किसानों के हित में चलाई जा रही राजीव गांधी
किसान न्याय योजना पर भी पड़ चुकी है। पूर्व में केन्द्र सरकार ने इस योजना को धान पर बोनस तो नहीं
का सवाल राज्य से किया था। भाजपा के रमन सिंह जैसे नेताओं ने बार.बार न्याय योजना को धान का
बोनस बताने का प्रयास कर राज्य के खिलाफ केन्द्र सरकार को दिग्भ्रमित भी किया है। इसी का परिणाम
है कि मोदी सरकार ने राज्य से सेन्ट्रल पुल में 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की सहमति के बाद उसमें कटौती कर 24 लाख मीट्रिक टन कर दिया। भाजपा के रमन सिंह जैसे नेताओं के राज्य विरोधी अभियान का दुष्परिणाम है कि राज्य सरकार 1865 रू के समर्थन मूल्य में किसानों से धान की खरीदी कर खुले बाजार में लगभग 1400 रू में नीलामी करने को मजबूर है।

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