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एनटीपीसी प्रबंधन की मनमानी से भू-विस्थापित परेशान… डेम से निकलने वाले दूषित पानी और राखड़ से गाँव हो रहा बर्बाद

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एनटीपीसी प्रबंधन की मनमानी से भू विस्थापित परेशान,,, डेम से निकलने वाले दूषित पानी और राखड़ से गाँव हो रहा बर्बाद

एनटीपीसी प्रबंधन की मनमानी से भू विस्थापित परेशान, एनटीपीसी के भारी वाहनों ने रोड किया बर्बाद

निलेश मसीह,बिलासपुर : सीपत एनटीपीसी के राखड़ डैम के पानी के ओवरफ्लो होने से आसपास के गांवों में बरसात के दिनों में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं. रात हो या दिन तेज बारिश के बाद यहां लोगों के घरों में डैम विषैला पानी घुस जाता है वही बारिश के दिनों में गांव सुखरीपाली ,रलिया,कौड़िया, में ग्रामीणों के घर में पानी घुस जाता हैं, फसल अलग बर्बाद होता हैं,जिससे ग्रामीण और किसानों का जीवन अस्त-वयस्त हो जाता है| क्षेत्रवासियों ने इस मामले को लेकर एनटीपीसी प्रबंधन को कई बार शिकायते भी की मगर प्रबंधन द्वारा क्षेत्रवासियों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है| लेकिन सीपत स्थित एनटीपीसी के राखड़ डैम और वहां के निकलने वाले विषैले पानी ने इनका जीवन को बर्बाद कर रखा है. डैम के पानी के सीपेज होने से आसपास के गांवों में बरसात के दिनों में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं,

राखड़ डेम से उड़ने वाले धुल से क्षेत्र का वातावरण प्रदूषित हो गया है लेकिन एनटीपीसी सीपत द्वारा बिजली उत्पादन के दौरान निकले राखड़ को आसपास के गांव के निकट बनाए गए राखड़ डेम में डाला जाता है,जो तेज हवाओं के चलने पर उड़-उड़ कर लोगों के घरों तक पहुँच रहा है, जिससे खाना, पानी और वातावरण प्रदूषित हो रहा है.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि पीने के पानी में भी राखड़ घुलकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है वहीं, कृषि भूमि बंजर होती जा रही है। ग्रामीणों की मानें तो उनका जीना मुश्किल हो गया है। पिछले कई साल से लगातार शिक़ायत कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदार प्रशासन कुभकर्णीय नींद से जागता ही नहीं! एनटीपीसी के जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीणों की सुनते नहीं, तहसीलदार,SDM, कलेक्टर, और पर्यावरण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीणों की शिक़ायत पर कोई कार्यवाही नहीं करते। एनटीपीसी सीपत के द्वारा ग्राम रलिया, सुखरीपाली, भिलाई,हरदाडीह में राखड़ डेम बनाया गया है, गर्मी का मौसम आते ही तेज़ हवाओं के चलने से राखड़ डेम से बड़ी मात्रा में राखड़ उड़कर आसपास स्थापित गांव के घरों तक पहुंच जाता है और गांवों के लोगों के भोजन, पानी और जीवन को प्रभावित कर देता है। ग्रामीणों की माने तो उनके घरों में डेम से उड़कर आए राखड़ की मोटी परत चढ़ जाती है वहीं, खाने के सामान,पीने के पानी और कपड़ों में डस्ट जमा हो जाता है जो आसपास के 10 K.M.तक के एरिया को प्रभावित करता है हवा में राखड़ इतनी ज्यादा मात्रा में रहता है कि दूर-दूर तक कुछ ठीक से दिखलाई नहीं देता.रोड में चलने वाली गाड़ियां तक नही दिखती और एक्सीडेंट होने का खतरा बना रहता है, एनटीपीसी के राखड़ डेम ग्रामीणों लिए अभिश्राप बन कर आता है। एनटीपीसी की लापरवाही से प्रतिदिन हज़ारों ग्रामीणों के स्वास्थ्य से खिड़वाड हो रहा है साथ ही पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है, लेकिन अब तक पर्यावण विभाग की उदासीनता से इन पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाया है और न ही राखड़ डेम प्रबंधन के द्वारा कोई उचित व्यवस्था किया गया है। देखना होगा कि कब तक ग्रामीणों को राखड़ की आंधी और तूफान से निजात दिलाने ज़िला प्रशासन द्वारा निजात दिलाने कोई ठोस कदम उठाया जाता है!

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