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राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देषानुसार जिला न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया,

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सवितर्क न्यूज
बिलासपुर 12 दिसंबर 2020। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं सालसा के निर्देषानुसार जिला न्यायालय एवं समस्त तालुका न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया,

जिसमें कुल 31 खण्डपीठ का गठन किया गया था, जिसमें कुल 1601 प्रकरण रखे गये थे। न्यायालयों में लंबित कुल 699 प्रकरणों का निराकरण तथा प्रीलिटिगेशन के कुल 10 प्रकरण का निराकरण किया गया तथा 8 करोड़ 13 लाख 41 हजार 3 सौ 90 रूपये का अवार्ड पारित किया गया।
सड़क दुर्घटना में अवार्ड पारित
सड़क दुर्घटना में 2019 में ट्रक के दबने से पति की मृत्यु हो गयी थी तथा प्रकरण न्यायालय में 2 वर्षो से लंबित था। तत्पश्चात् बलौदा बाजार से सास और बहू द्वारा विडियों कान्फं्रेसिंग के माध्यम से घर बैठे मोटर दुर्घटना में राजीनामा हुए जिसमें 38 लाख 75 हजार का अवार्ड पारित किया गया। इसी प्रकार से कोटा से एक व्यक्ति ने वीसी के माध्यम से अपने खेत में काम करते राजीनामा किया जिसमें उसे 20 लाख 50 हजार का अवार्ड पारित किया गया।
8 वर्ष बाद पति-पत्नी में हुई सुलह
यह कि आवेदिका पत्नी एवं अनावेदक पति का विवाद 8 वर्ष पूर्व हिन्दू रीति रिवाज से हुआ था तथा विवाह के एक वर्ष पश्चात् दामपत्य से एक पुत्र हुआ था विवाह के पश्चात् से ही आवेदिका के ससुराल वाले उसे दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित करते थे तथा कुछ वर्षो पश्चात अनावेदक ने आवेदिका को उसके माॅ-बाप का घर छोड दिया तथा आवेदिका अपने माॅ-बाप के घर ही रहती थी। अनावेदक को समझाइश देने पर भी वह आवेदिका को अपने साथ नहीं ले जा रहा था तथा वह भरण-पोषण भी नहीं दे रहा था। तत्पश्चात उसका मामला कुटुम्ब न्यायालय में मामला पेश किया तथा लगभग 3 वर्षो से लंबित था। कुटुम्ब न्यायालय द्वारा भी भरण-पोषण का आदेश जारी किया गया था परन्तु कोरोना के कारण अनावेदक भरण-पोषण देना बंद कर दिया था तत्पश्चात आवेदिका ने मामले को लोक अदालत में रखने का फैसला लिया और विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अनावेदक से सम्पर्क कर बात-चीत किया गया और उसे समझाइश दिया गया नेशनल ई-लोक अदालत में दोनों से चर्चा के पश्चात् एवं सूचनाकर्ता के माध्यम से राजीनामा कराया गया तथा वे दोनांे साथ-साथ रहने के लिये तैयार हो गये।
पत्नी को मिली 3 हजार रूपये भरण-पोषण की राशि
वर्ष 2014 में आवेदिका एवं आवेदक का हिन्दू रीति रिवाज से विवाह हुआ था तथा आवेदिका के माता पिता द्वारा अपने हैसियत से दहेज प्रदान किया गया था विवाह के 3 वर्ष प्श्चात् आवेदिका के ससुराल में उसके पति के द्वारा मोटर साइकिल नहीं मिलने के कारण गाली-गौलज कर प्रताड़ित किया जा रहा था। आवेदिका द्वारा अपने माता-पिता को यह बात बताया गया। उसके ससुराल द्वारा उसे मोटर-साइकिल न मिलने से उसे घर से निकाल दिया गया और उसे धमकी दी गयी की जब-तक तुम मोटर साइकिल नहीं लेते तब तक घर नहीं आना। आवेदिका ससुराल के प्रताडना से काफी कमजोर हो गयी थी और उसके आय का कोई साधन भी नहीं था और अपने माता-पिता के घर पर ही रहती थी। आवेदिका के माता पिता भी बहुत गरीब है। आवेदिका का पति पाॅवर प्लांट में हेल्पर का काम करता था जो 10 हजार रू. तनखा पाता था तथा बोनस भी पाता था वह अपने दोस्तों के साथ शराब पीकर सारा पैसा खर्च कर देता था तथा अनावेदक ने आवेदिका के दहेज के समान को भी बेच कर शराब पीकर सारा रू. खर्च कर दिया। तत्पश्चात आवेदिका ने कुटुम्ब न्यायालय में अपना मामला रखा। जिसमें नेशनल ई-लोक अदालत में उसका मामला पेश किया गया। तत्पश्चात् उभयपक्षों को विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उन्हें समझाइश दिया गया, वे दोनों साथ-साथ रहने के लिये तैयार हो गया। इस प्रकार नेशनल ई-लोक अदालत में इनका राजीनामा किया गया।

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